इच्छा तो सभी की होती है, कि *"मैं अपने लक्ष्य को शीघ्र प्राप्त कर लूं।"* परंतु संसार में ऐसा नियम देखा जाता है कि *"केवल इच्छा करने से लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती।"* जो लोग लक्ष्य प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए कुछ नियम होते हैं।
सबसे पहला नियम यह है कि *"वे अपना लक्ष्य निर्धारित करें। दूसरा नियम -- उस लक्ष्य को प्राप्त करने की तीव्र इच्छा बनाएं। तीसरा नियम -- लक्ष्य प्राप्ति के लिए दृढ़ संकल्प करें। चौथा नियम -- वे आलस्य न करें। आलस्य का त्याग करके लक्ष्य प्राप्ति के लिए बुद्धिमत्ता से पूर्ण पुरुषार्थ करें। पांचवा नियम -- यदि लक्ष्य में बाधाएं आवें, तो उनसे घबराए नहीं। उनका समाधान पहले से सोच कर तैयार रखें, और उन्हें दूर करने में पूरा परिश्रम करें। छठा नियम -- यदि दूसरे लोग उनको सही समय पर लक्ष्य प्राप्ति में सहयोग देवें, तो वे और भी जल्दी लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते हैं।"* *"जो व्यक्ति इन नियमों का पालन करेगा, उसको शीघ्र लक्ष्य की प्राप्ति हो जाएगी."* ---- *"स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय, रोजड़, गुजरात।"*
सवाल: किसी के प्रति आकर्षण होना क्या ये काम वासना के अलावा कुछ और नहीं हो सकता है ??
जवाब :- ✨ आकर्षण दो तरह का होता है
1) एक है गुणों का आकर्षण
2) एक है देह का आकर्षण।
यदि हम किसी के गुणों से आकर्षित हैं और गुणों से आकर्षित होकर भी कई तरह की भावनाएं उत्पन्न होती है या तो उन गुणों को हम अपने अंदर धारण करने की कोशिश करें और या फिर उनके ही गुणों से आकर्षित होकर उनके साथ ही अपना योग जोड़ दें।
☑️ देह का आकर्षण जोकि काम विकार का एक बहुत बड़ा कांटा है। जिसके साथ साथ और कई तरह के विकार उत्पन्न होते हैं। गुणों से आकर्षित होकर उनके साथ ही अपना योग लगा लेना ही भी एक पाप करम बन जाता है जिसकी साजा बहुत कड़ी है।
तो देह से आकर्षण होना तो बहुत बड़ा विकार गिना जाता है। यदि ऐसी कोई समस्या आपको आ रही है तो अपनी दृष्टि को परिवर्तन करें जैसी दृष्टि वैसी ही हमारी वृत्ती बन जाती है दृष्टि आत्मिक होगी तो वृती खुद ब खुद ही आत्मिक हो जाएगी।
जिसका वीर्य सुरक्षित नहीं वह माथे की तेजमय अग्नि को मन्द कर देता है। जिसका शरीर तप से शुद्ध नहीं वह मल-मूत्र के अनुचित त्याग से पृथ्वी को गन्दा 🐾 कर देता है। (अधिक खाता है, अधिक दुर्गंधयुक्त मलमूत्र करता है उससे पृथ्वी दूषित होती है। जिसका मन वश में नहीं वह वायु और अन्तरिक्ष को निर्बल करने की चेष्टा करता है और जो अविद्या का दास है उससे उठे हुए बादल सब प्रकाशमान पदार्थों को बन्द कर देते हैं।
ब्रह्मचारी समुद्र के समान गम्भीर हो जाता है और इतना तेज धारण करता है कि सर्वसाधारण से ऊॅंचा उठ जाता है। जिस प्रकार पर्वत पर चढ़कर महात्मा पुरुष मर्त्यलोक के निवासियों के मार्ग-दर्शक बनते हैं, इसी प्रकार ब्रह्मचारी अपने तपोबल से तेजस्वी होकर ऊपर उठता है। तब विद्यारूपी समुद्र में स्नान से तेज धारण किया हुआ ब्रह्मचारी अपने प्रकाश से सर्व-साधारण को अपनी ओर खींचता हुआ उनकी शुद्धि का साधन बनता है।
व्यक्तित्व विकास एवं चरित्र निर्माण या ब्रह्मचर्य का उपाय🌱
संकल्प:-🪧
(संकल्प का स्वरूप):- संकल्प उन विचारों का नाम है जिसमें पूर्ण विश्वास भरा हो जैसे मैं यह कार्य अवश्य करूंगा, मैं यह काम कर सकता हूं ,मैं इसे अवश्य पूर्ण करूंगा, यह काम अवश्य बनेगा, मुझे तो इसे प्राप्त करना ही है।
(संकल्प करने का लाभ):-
संकल्प करने से कार्य करने की अपूर्व क्षमता हमारे अंदर अपने आप ही पैदा हो जाती है। यह शक्ति इतनी महत्वपूर्ण होती है कि गिरी से गिरी स्थिति को बदल डालती है। यद्यपि आदतें हमारे जीवन में बहुत गहराई तक जड़ें जमा कर रखती हैं। किसी भी व्यक्ति को किसी कार्य की आदत बन जाने के बाद उसे तोड़ना बहुत मुश्किल होता है परंतु ऐसी बात नहीं कि एक बार बुरी आदत पड़ जाने के बाद उसे तोड़ा नहीं जा सकता। प्रबल संकल्प के माध्यम से प्रतिदिन उस पर चोट मारते हुए उसको समाप्त किया जा सकता है। कुछ आदतें जन्मजात होती हैं, जो व्यक्ति को अपने मां बाप से प्राप्त होती हैं, कुछ समाज की देन होती हैं, उनमें परिवर्तन लाना इतना आसान नहीं होता। परंतु वहां भी निरंतर अभ्यास और संकल्प के माध्यम से हम उनको दूर कर सकते हैं।जब जागो तभी सवेरा वाली कहावत यहां चरितार्थ होती है। कुछ व्यक्ति जो प्रौढ अवस्था में पहुंच गए हैं उनकी मानसिकता बन जाती है कि सारी उमर तो इश्क में हमारी गयी आखिरी वक्त में हम क्या गुल खिलाएंगे?
जबकि ऐसा नहीं है बुरी आदत उत्पन्न हुई है तो नष्ट भी होगी। इसको नष्ट किया जा सकता है, यह नश्वर है । व्यक्ति की आदतों के अनुसार उसके संस्कार बनते हैं और संस्कार हमारे अगले जन्म को भी प्रभावित करते हैं अर्थात् वे आगे के जन्मों में भी हमारे साथ जाते हैं।
जंगल में चरती एक गाय🐄 शाम ढलते समय दबे पांव एक बाघ 🐅को अपनी ओर आते देख डर कर 😱इधर उधर भागने लगी।
🐅🐅बाघ भी उसके पीछे दौड़ने लगा,भागती गाय🐄 को सामने एक तालाब दिखा घबराई हुई वह उस तालाब में घुस गई।वह बाघ भी उसमें घुस गया। तालाब गहरा नहीं था ना ही उसमें ज्यादा पानी था बल्कि पानी कम होने से कीचड़ भरा हुआ था। कीचड़ के कारण दोनों आगे नहीं बढ़ पा रहे थे और धीरे-धीरे धंसने लगे ।
नजदीक होने के बाद भी बाघ गाय को पकड़ नहीं सका। दोनों धंसते चले जा रहे थे।गाय ने बाघ से पूछा क्या तुम्हारा कोई गुरु या मालिक है।
बाघ ने गुर्रा कर कहा मैं स्वयं जंगल का राजा हूं मैं ही मालिक हूं। गाय ने कहा तुम्हारी उस शक्ति का यहां क्या उपयोग है ? बाघ ने कहा तुम्हारी भी हालत मेरे जैसी है तुम भी फंसी हुई हो और मरने के करीब हो। गाय ने मुस्कुराते हुए कहा, बिल्कुल नहीं । मेरा मालिक शाम को घर आएगा और मुझे न पाकर ढूंढते हुए यहां जरूर पहुंचेगा और मुझे फंसा हुआ देखकर कीचड़ से निकाल कर अपने घर ले जाएगा। किन्तु तुम्हें कौन ले जाएगा ?
थोड़ी देर पश्चात गाय का स्वामी वहां आया और गाय को निकाल कर लें जाने लगा। जाते समय गाय और उसका स्वामी एक-दूसरे को कृतज्ञतापूर्वक देख रहे थे।
जान का खतरा होने के कारण चाहकर भी बाघ🐅🐅 को नहीं ❎निकाल सकते थे।
🐄गाय ___ समर्पित हृदय का प्रतीक है । 🐅बाघ _अहंकारी मन है । 🧔मालिक__ईश्वर का प्रतीक है । 🌊कीचड़____यह संसार है । और 🏋यह संघर्ष____अस्तित्व की लड़ाई है ।
किसी पर निर्भर नहीं होना अच्छी बात है, लेकिन मैं ही सब कुछ हूं, मुझे किसी के सहयोग की आवश्यकता नहीं है, यही अहंकार है, और यहीं से विनाश का बीजारोपण हो जाता है ।
ईश्वर ☝️से बड़ा इस दुनिया में 🌎कोई सच्चा हितैषी नहीं है, क्योंकि वही विभिन्न रूपों में हर क्षण हमारी रक्षा करते हैं।✅
सीता के युक्ति-युक्त वाक्य सुनकर हनुमान् बोले- देवी! तुमने सच कहा है कि तुम मेरे साथ समुद्र नहीं तैर सकतीं क्योंकि साध्वी स्त्रियों के शील का यही प्रमाण है। दूसरे समुद्र तैरना सुगम भी नहीं। दूसरा कारण जो तुमने कहा कि अति सङ्कट में भी राम के बिना मैं दूसरे पुरुष का स्पर्श करना नहीं चाहती सो यह भाव भी महात्मा राम की धर्मपत्नी सीता में ही हो सकते हैं। देवी! मैं सच कहता हूं कि तुम्हारे अतिरिक्त और कोई स्त्री यह नहीं कह सकती।
जो पूर्ण ब्रह्मचर्यव्रत, विद्या, बल को प्राप्त तथा सब प्रकार से शुभ गुण, कर्म, स्वभावों में तुल्य परस्पर प्रीतियुक्त होके सन्तानोत्पत्ति और अपने अपने वर्णाश्रम के अनुकूल उत्तम कर्म करने के लिए स्त्री और पुरुष का सम्बन्ध होता है, उसको विवाह कहते हैं।
एक बार तुलसी दास से किसी ने पूछा :- कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता फिर भी नाम जपने के लिए बैठ जाते हैं, क्या उसका भी कोई फल मिलता है ?
तुलसी दास जी ने मुस्कुरा कर कहा- तुलसी मेरे राम को, रीझ भजो या खीज । भौम पड़ा जा में सभी, उल्टा सीधा बीज।
अर्थात भूमि में जब बीज बोऐ जाते हैं, तो यह नहीं देखा जाता कि वह उल्टे पड़े हैं या सीधे पर फिर भी कालांतर मे फसल बन जाती है, इसी प्रकार नाम ---- सुमिरन कैसे भी किया जाय उसके सुमिरन का फल अवश्य ही मिलता है.!
Agar exam ke liye neend aa rahi hai, toh yeh kuch tarike madadgar ho sakte hain❤️
1️⃣. 𝕋𝕚𝕞𝕖 𝕥𝕒𝕓𝕝𝕖 𝕓𝕒𝕟𝕒𝕪𝕖𝕚𝕟: Apni padhai ka schedule set karein. Thoda-thoda break le kar padhai karna zyada effective hota hai. Jaise 45 minutes padhai karna aur phir 10-15 minutes ka break lena.
2️⃣. 𝕋𝕙𝕠𝕕𝕒 𝕨𝕒𝕝𝕜 𝕜𝕒𝕣𝕟𝕒: Agar zyada neend aa rahi hai, toh halki walk lene se fresh feel hota hai aur neend bhi kam hoti hai.
3️⃣. 𝕎𝕒𝕥𝕖𝕣 𝕡𝕖𝕖𝕛𝕚𝕪𝕖: Pani peene se body hydrate hoti hai aur aap thoda fresh feel karte hain.
4️⃣. ℍ𝕖𝕒𝕝𝕥𝕙𝕪 𝕤𝕟𝕒𝕔𝕜𝕤 𝕜𝕙𝕒𝕪𝕖𝕚𝕟: Fruits ya nuts khana, jo energy de, aapko thoda active rakhega.
5️⃣. 𝔻𝕖𝕖𝕡 𝕓𝕣𝕖𝕒𝕥𝕙𝕚𝕟𝕘 𝕪𝕒 𝕞𝕖𝕕𝕚𝕥𝕒𝕥𝕚𝕠𝕟: Agar aap thoda relaxed feel kar rahe hain, toh deep breathing ya meditation se thoda stress bhi door ho sakta hai.
6️⃣. 𝕊𝕝𝕖𝕖𝕡 𝕜𝕒 𝕤𝕔𝕙𝕖𝕕𝕦𝕝𝕖: Agar exam se pehle achhi neend leni hai, toh padhai ke beech mein thoda rest lena zaroori hai. Poori raat padhne se agle din neend nahi aati, jo performance pe affect karta hai.
Exam ke liye thoda focused rahna hoga. Aap jo padhenge, usko achhe se revise karke, confident feel kar sakte hain. Best of luck!👍
उच्च शिक्षा, आर्थिक आत्मनिर्भरता, सामाजिक जगरण ने आधुनिक नारी को अपने अधिकारों एवं स्वतंत्रता का अनुभव कराया है ।परन्तु स्वतंत्रता 💃 के नाम पर कहीं-कहीं स्वच्छंदता बढ़ती जा रही है। स्वछन्द नारी स्वयं को पुरुष की पूरक नहीं परन्तु प्रतिद्वंद्वी 🤼मानने लगी है, फलवरूप, परिवार टूटने लगे हैं। एसी स्त्रियाँ बच्चों के भविष्य की भी कोई परवाह नहीं करती है।
कई स्त्रियाँ तो धन 💵💰 कमाने के लिए अनुचित साधन 🚫भी अपनाती है।
प्रस्तुत चित्र 👆 इसी स्थिति को दर्शाता है कि
कैसे आज की नारी धन की, नाम की खातिर देह का व्यवसाय कर रही है। कम वस्त्र 👚पहन कर व्यभिचार 🔞 को बढ़ावा 🔥दे रही है। क्लबों, पार्टियों में डांस 💃, शारीरिक प्रदर्शन 💅 से वेश्यावृत्ति 🔞को अधुनिक रूप से दिया जा रहा है।
सुंदर दिखने की चाह में सौंदर्य प्रसाधनों 💄💅 का अनुचित एवं असीमित प्रयोग किया जा रहा है। मधपान 🥂🍷, धूम्रपान एवं दूसरे व्यसन महिलाओं में भी बढ़ते 💥जा रहे हैं।
दूसरे अर्थों में सादगी, सरलता, पवित्रता, त्याग, सहिष्णुता, आत्मसंयम जैसे आन्तरिक सौंदर्य बढ़ाने वाले बहुमूल्य गुणों 🌷का नारी में नितांत अभाव देखने में आ रहा है।
अश्लीलता,🚫 मर्यादाहीनता🛑 का यह विष 👹 समाज में तीव्र गति से 🌪🔥फैल रहा है।
विज्ञापनों में नारी के अर्ध्द नग्न 💃 चित्र सभी टीवी चैनल, सोशल मीडिया ,इंटरनेट 📺🎥 पर बार-बार दिखाये जाते हैं।
✅आज इस बात की आवश्यकता है कि नारी अपनी सच्ची स्वतंत्रता को पहचाने, अपने चरित्र को उज्ज्वल बनाये। सादा जीवन, उच्च सकारात्मक विचारों 🦚🦜 एवं अध्यात्मिकता का पालन ही उसे भोग्या से पूज्या 🙏💐 और अबला से शक्तिसम्पन्न देवी बना सकता है। ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖