{ब्रह्मचर्य संबंधी आर्यों का इतिहास}:-
सीता के युक्ति-युक्त वाक्य सुनकर हनुमान् बोले- देवी! तुमने सच कहा है कि तुम मेरे साथ समुद्र नहीं तैर सकतीं क्योंकि साध्वी स्त्रियों के शील का यही प्रमाण है। दूसरे समुद्र तैरना सुगम भी नहीं। दूसरा कारण जो तुमने कहा कि अति सङ्कट में भी राम के बिना मैं दूसरे पुरुष का स्पर्श करना नहीं चाहती सो यह भाव भी महात्मा राम की धर्मपत्नी सीता में ही हो सकते हैं। देवी! मैं सच कहता हूं कि तुम्हारे अतिरिक्त और कोई स्त्री यह नहीं कह सकती।