{ ब्रह्मचारी की महिमा }ब्रह्मचारी समुद्र के समान गम्भीर हो जाता है और इतना तेज धारण करता है कि सर्वसाधारण से ऊॅंचा उठ जाता है। जिस प्रकार पर्वत पर चढ़कर महात्मा पुरुष मर्त्यलोक के निवासियों के मार्ग-दर्शक बनते हैं, इसी प्रकार ब्रह्मचारी अपने तपोबल से तेजस्वी होकर ऊपर उठता है। तब विद्यारूपी समुद्र में स्नान से तेज धारण किया हुआ ब्रह्मचारी अपने प्रकाश से सर्व-साधारण को अपनी ओर खींचता हुआ उनकी शुद्धि का साधन बनता है।