वीर्य नाश के दुष्परिणाम:-
जिसका वीर्य सुरक्षित नहीं वह माथे की तेजमय अग्नि को मन्द कर देता है। जिसका शरीर तप से शुद्ध नहीं वह मल-मूत्र के अनुचित त्याग से पृथ्वी को गन्दा 🐾 कर देता है। (अधिक खाता है, अधिक दुर्गंधयुक्त मलमूत्र करता है उससे पृथ्वी दूषित होती है। जिसका मन वश में नहीं वह वायु और अन्तरिक्ष को निर्बल करने की चेष्टा करता है और जो अविद्या का दास है उससे उठे हुए बादल सब प्रकाशमान पदार्थों को बन्द कर देते हैं।