व्यक्तित्व विकास एवं चरित्र निर्माण या ब्रह्मचर्य का उपाय🌱संकल्प:-🪧(संकल्प का स्वरूप):- संकल्प उन विचारों का नाम है जिसमें पूर्ण विश्वास भरा हो जैसे मैं यह कार्य अवश्य करूंगा, मैं यह काम कर सकता हूं ,मैं इसे अवश्य पूर्ण करूंगा, यह काम अवश्य बनेगा, मुझे तो इसे प्राप्त करना ही है। (संकल्प करने का लाभ):-संकल्प करने से कार्य करने की अपूर्व क्षमता हमारे अंदर अपने आप ही पैदा हो जाती है। यह शक्ति इतनी महत्वपूर्ण होती है कि गिरी से गिरी स्थिति को बदल डालती है।
यद्यपि आदतें हमारे जीवन में बहुत गहराई तक जड़ें जमा कर रखती हैं। किसी भी व्यक्ति को किसी कार्य की आदत बन जाने के बाद उसे तोड़ना बहुत मुश्किल होता है परंतु ऐसी बात नहीं कि एक बार बुरी आदत पड़ जाने के बाद उसे तोड़ा नहीं जा सकता। प्रबल संकल्प के माध्यम से प्रतिदिन उस पर चोट मारते हुए उसको समाप्त किया जा सकता है। कुछ आदतें जन्मजात होती हैं, जो व्यक्ति को अपने मां बाप से प्राप्त होती हैं, कुछ समाज की देन होती हैं, उनमें परिवर्तन लाना इतना आसान नहीं होता। परंतु वहां भी निरंतर अभ्यास और संकल्प के माध्यम से हम उनको दूर कर सकते हैं।जब जागो तभी सवेरा वाली कहावत यहां चरितार्थ होती है। कुछ व्यक्ति जो प्रौढ अवस्था में पहुंच गए हैं उनकी मानसिकता बन जाती है कि सारी उमर तो इश्क में हमारी गयी आखिरी वक्त में हम क्या गुल खिलाएंगे?
जबकि ऐसा नहीं है बुरी आदत उत्पन्न हुई है तो नष्ट भी होगी। इसको नष्ट किया जा सकता है, यह नश्वर है । व्यक्ति की आदतों के अनुसार उसके संस्कार बनते हैं और संस्कार हमारे अगले जन्म को भी प्रभावित करते हैं अर्थात् वे आगे के जन्मों में भी हमारे साथ जाते हैं।