View in Telegram
मोह माया प्रेम कलैश में रिश्ते नातों के द्वेष में जो मेरा कभी था ही नही उसे पाने की कोशिश में किसी अन्य के लिए स्वयं का सर्वस्व समर्पण कर के कितना खो चुका हूंँ मैं क्या ख़ुद को खोना इतना समय व्यर्थ करना यथार्थ था? शायद नहीं चंद लफ़्ज़ की डोर में टिके काल्पनिक रिश्तों में मैं ठहर सा गया था बिखरा है चहुमुखी  जो मोह माया का जाल उसमे कही मैं फस सा गया था वासनाओं आलिंगन की ख़्वाहिशों में प्रेम का अर्थ मैं भूल सा गया था कुछ चन्द लफ़्ज़ के भंँवर में इस दुनिया की उलझनों में मैं उलझ सा गया था भूल गया था की मैं अजेय हूंँ अस्तित्व है मेरा भी मैं स्वयं में ही पूर्ण सदैव हूंँ मंजिल अब चंद कदम दूर ही तो है बिन सोए अब बस कुछ रातें ही और तो काटनी हैं फिर तेरी शर्ट भी कहलाने लगेगी वर्दी कुछ चिन्ह उस पर सजकर मेरे चेहरे की चमक बढ़ाएंँगे जो सोया नही हूंँ इतनी रातों से आंँखे हैं जो थकान में लाल लाल सी गोद में सर रखने को तरसा हूंँ जल्द ही वो दिन आएगा जब एक दिन आराम से सो लूंँगा होगी गोद मिट्टी की और मैं तिरंगे की चादर ओढ़ लूंँगा...                             ~अकर्मण्य #Boss@fhageh #ownqou@fhageh #fee@fhageh #feei@fhageh #feeli@fhageh #feelings@fhageh
Love Center
Love Center
Find friends or serious relationships easily