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राम।।🍁 🍁 *सत्संगके फूल* 🍁 _श्रद्धेय स्वामी जी श्रीरामसुखदास जी महाराज_ *भगवान् का सबसे बढ़िया रूप कौन-सा है ? सबसे बढ़िया रूप है-संसार ।* सबकुछ भगवान् का स्वरूप है। इतनी बात मान लो तो आपकी यहाँ की यात्रा सफल हो गयी। * * * * * * * * * * जैसे कोई समुद्र में डूब जाय तो चारों तरफ जल-ही-जल है। आकाश में चला जाय तो चारों तरफ आकाश-ही-आकाश है। ऐसे ही *चारों तरफ परमात्मा-ही-परमात्मा हैं। उनके सिवाय और कुछ है ही नहीं।* हमने ही उनको दूर मान लिया, उनको अपने पास नहीं माना। अपने इष्ट की हर चीज (नाम, रूप, लीला आदि) अच्छी लगती है। सब जगह हमारा इष्टदेव ही है, फिर कितना आनन्द है! जीते भी आनन्द, मरने में भी आनन्द ! *संसार में अपनापन छोड़ दो, फिर आनन्द-ही-आनन्द है।*(साधन-सुधा-निधि, पृष्ठ ५०६) *राम ! राम !! राम !!!*
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